Team India Winning Formula: टीम इंडिया की जीत का फॉर्मूला, कोहली शतक का मौका नहीं छोड़ते और भारतीय गेंदबाज किसी को शतक बनाने
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Dainik Haryana News: Cricket News(ब्यूरो): 16 बड़ी 200 रनों कि साझेदारियों में सिर्फ एक ऐसी है जो भारत के खिलाफ लगी है. इस आंकड़े का सीधा मतलब ये है कि भारतीय गेंदबाज विरोधी टीम के खिलाड़ियों को ना तो शतक बनाने का मौका दे रहे हैं और ना ही साझेदारियां बनाने का. सबसे पहले बांग्लादेश के मैच का ही उदाहरण ले लीजिए. भारत के गेंदबाज शुरू में पहले विकेट के लिए इंतजार में थे. ये इंतजार लंबा खींच रहा था. 14 ओवर निकल चुके थे. स्कोरबोर्ड पर 90 से ज्यादा रन जुड़ चुके थे. कॉमेंट्री में भी इसी बात की चर्चा हो रही थी कि लगता है बांग्लादेश 300 के आस-पास बनाएगा. पिच भी ऐसी थी कि रन अच्छी तरह बन रहे थे. लेकिन फिर पंद्रहवें ओवर में कुलदीप यादव ने पहली कामयाबी हासिल की. उन्होंने तंजीद हसन को आउट किया. इसके बाद तो बांग्लादेश की टीम साझेदारी के लिए तरसती रही. थोड़ी-थोड़ी देर पर भारतीय गेंदबाज विकेट हासिल करते रहे. आखिर में 300 रन तक जाती दिख रही बांग्लादेश की टीम 256 रन ही जोड़ पाई.
ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के खिलाफ भी यही हुआ था
इस विश्व कप में ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब भारतीयगेंदबाजों ने मिडिल ओवरों में विरोधी टीम को परेशान किया. ये काम अभी तक खेले गए चारों मैच में हुआ है. बांग्लादेश का आंकड़ा हमने आपको पहले ही बता दिया. अब जरा पिछले तीन मैच भी याद कीजिए. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक वक्त पर स्कोरबोर्ड पर 2 विकेट पर 110 रन का स्कोर था. यानि ऑस्ट्रेलिया बड़े स्कोर की तरफ जाती दिख रही थी. लेकिन आखिर में स्कोरबोर्ड पर रन जुड़े सिर्फ 199. अगला मैच अफगानिस्तान से था.
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इस मैच में एक वक्त पर अफगानिस्तान ने 3 विकेट पर 184 रन जोड़ लिए थे. ऐसा लग रहा था कि अफगानिस्तान की टीम कमाल करने वाली है. लेकिन भारतीय गेंदबाजों के पलटवार के बाद अफगानिस्तान 272 रन ही बना पाई. पाकिस्तान के खिलाफ तो भारतीय गेंदबाजों ने और कमाल किया. याद कीजिए भारत के खिलाफ 29.3 ओवर में पाकिस्तान ने 2 विकेट पर 155 रन जोड़ लिए थे. यहां से इस बात का अंदाजा लगाना नामुमकिन था कि टीम 200 रन के भीतर भीतर सिमट जाएगी. लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने इसी नामुमकिन काम को करके दिखाया. आखिर में पाकिस्तान की टीम 191 रन ही बना पाई. इन तीनों मैच में भारत को जीत मिली.
क्या है गेंदबाजों की इस कामयाबी की वजह?
इस शानदार उपलब्धि के पीछे सिर्फ दो वजहें हैं. वो हैं- अनुशासन और संयम. आप चारों मैच में भारतीय गेंदबाजों का प्रदर्शन देख लीजिए. विरोधी टीम के बल्लेबाज जब उनके खिलाफ रन बना भी रहे होते हैं तो वो अपने ‘बेसिक्स’ में गड़बड़ी नहीं करते. हर किसी को पता है कि वर्ल्ड कप में बल्लेबाजी के लिए मुफीद पिच ही मिलेगी. ऐसे में चाहे तेज गेंदबाज हों या स्पिनर, उन्हें अनुशासन और संयम बनाए रखना है. उन्हें इस बात का इंतजार करना है कि बल्लेबाज गलती करे और वो दबाव बनाएं. अब तक चारों मैच में ऐसा ही देखने को मिला. भारतीय गेंदबाज लगातार सही लाइन लेंथ पर गेंदबाजी कर रहे थे.
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उनका प्रयास था कि अगर विकेट नहीं मिल रहे हैं तो रन की रफ्तार को काबू में रखें. एक्सट्रा रन तो बिल्कुल ना दें. ऐसे में जब किसी भी एक गेंदबाज को कामयाबी मिली तो दूसरे गेंदबाजों का दबाव भी विरोधी टीम पर बढ़ता चला गया. सोने पर सुहागा का काम किया शानदार फील्डिंग ने. आप बांग्लादेश के खिलाफ विकेट के पीछे केएल राहुल का कैच देखिए, प्वाइंट पर रवींद्र जडेजा का कैच देखिए आप समझ जाएंगे कि अच्छी गेंदबाजी को जब अच्छी फील्डिंग का साथ मिल जाता है तो कहानी कैसे अचानक बदलने लगती है. कैच के अलावा बाउंड्री पर भी भारतीय फील्डर्स कमाल के चुस्ती फुर्ती दिखाते हैं.
हर विकेट के बाद होता है रणनीति का आंकलन
बांग्लादेश के मैच में ये देखा गया कि भारतीय टीम आजकल हर विकेट के बाद सलाह मशविरा करती है. जिसमें कप्तान और सीनियर खिलाड़ी अपनी राय रखते हैं. खिलाड़ी पहले ‘हडल’ बनाते हैं और फिर तय होती है आगे की रणनीति. किसी भी मैच में मैदान में उतरने से पहले गोला बनाकर आपस में बात करने यानि ‘हडल’ की शुरूआत 2003 में सौरव गांगुली ने की थी. दरअसल टीम इंडिया भी तभी से प्रचलित नाम हुआ. बांग्लादेश के मैच के दौरान कॉमेंट्री में ये चर्चा हो रही थी कि अनिल कुंबले ने उस वक्त ये आइडिया दिया था कि हर विकेट के बाद खिलाड़ियों को आपस में मिलकर आगे की रणनीति बनानी चाहिए. अपनी बात रखनी चाहिए. रोहित शर्मा की कप्तानी में मौजूदा टीम इस आइडिया को फॉलो करती दिख रही है.