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Success Story: हाथ गंवाने पर पैरों से ओलंपिक में पदक जीत लिखी सफलता की कहानी

 
Success Story: हाथ गंवाने पर पैरों से ओलंपिक में पदक जीत लिखी सफलता की कहानी
Medal in olympics: कौन कहता है जिनके हाथ नहीं होते वो निवाला नहीं खा सकते। जो हार मान लेते हैं वो ही निवाला नहीं खा पाते, लेकिन जिनके होंसले बुलंद होते हैं वो कुछ भी कर सकते हैं। वो बिना हाथों के ही वो कर सकते हैं जो वयक्ति हाथ होते हुए भी नहीं कर पाता। Dainik Haryana News: #Bharat Singh Shekhawat Success Story:कहते हैं जो हार नही मानते वो कभी ना कभी सफलता को पा ही लेते हैं। यह भी जरूरी नही की जिनके पास सारी सुख सुविधा होती है वो ही सफल हो पाते हैं। जो कड़ी मेहनत करते हैं, और विश्वास बनाए रखते हैं। एक ना एक दिन सफलता उनके कदम चूमती ही है। हमारी आज की इस सफलता की कहानी आपको भी ऊर्जा से भर देगी। हमारी आज की इस कहानी के पात्र ने दोनों हाथ गंवाने पर पैरों से लिख डाली अपनी सफ़लता की कहानी। Read Also: Success Story: रियल सिंघम है ये आईपीएस अफसर, जिसे देख अपराधी बदल लेता है अपना रास्ता हम बात कर रहे हैं सीकर जिले के श्यामपुरा गांव के रहने वाले भरत सिंह शेखावत( Bharat Singh Shekhawat) की। जिसने एक हादसे में अपने हाथ गंवा दिए, लेकिन उनके होंसले को नही तोड़ पाए। भरत ने अपने पैरों को हथियार बनाकर अपनी किस्मत बदल डाली। भरत का जन्म 19 जून 1993 को हुआ। भरत अपने नाना नानी के यहां ननिहाल रहते थे। अचानक हुए एक हादसे में उनके दोनों हाथ चले गए। भरत तेज बिजली करंट का शिकार हो गए। Read Also: Neelam Ahlawat : नीलम अहलावत नें मोदी सरकार के 9 वर्ष पूर्ण होनें पर गिनवाई उपलब्धियां, मोटा अनाज खाने के लिए किया जागरुक। जिसकी वजह से डाक्टर उनके हाथों को बचा ना सके। लेकिन भरत ने हार नही मानी हाथ नही तो क्या हुआ अपने पैरों से किस्मत लिखने का फैसला किया। भरत ने 10 KM की स्टेट पैरा ओलंपिक (Para Olympics)में भाग लिया और इसमें वो कांस्य पदक अपने नाम करने मे सफल रहे। खेल के साथ-साथ भरत पढ़ाई में भी अच्छे थे, जिस कारण से वो कृषि पर्यवेक्षक बनने मे भी सफल रहे। उनकी इस सफलता पर हर कोई नाज करता है। भरत की ये कहानी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई।