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Success Story : MBA पास विजय श्योराण पराली से बायो-कोल बनाकर हर महीने कमा रहा लाखों रूपये, जानें कैसे पहुंचे यहां तक

 
Success Story : MBA पास विजय श्योराण पराली से बायो-कोल बनाकर हर महीने कमा रहा लाखों रूपये, जानें कैसे पहुंचे यहां तक
Business Tips : आज हम आपको हिसार के एक एमबीए पास सख्श की सफलता की कहनी सुनाने जा रहे हैं जो पराली से बायो-कोल बनाकर हर महीने के लाख रूपये से ज्यादा कमा रहे हैं। आइए जानते हैं विजय की सफलता की कहानी। Dainik Haryana News,Business News(नई दिल्ली): हरियाणा में पराली जलाने से चारों तरफ प्रदूषण फैल रहा है। लेकिन हिसार के इस युवक ने बायो-कोल बनाने का एक प्रोजेक्ट तैयार किया है जो सभी के लिए एक मिसाल बना है। इस प्रोजेक्ट के तहत किसान चारकोल बनाने में कर सकते हैं, यहां किसानों की पराली का दाम सही होता है और इससे प्रदूषण भी नहीं होता है। READ ALSO :Habits : भूलकर भी ना बोले बच्चों के सामने यह बातें जिन भी फैक्ट्रियों में काला कोयला इस्तेमाल होता है उनको 20 रूपये किलोग्राम की दर से मिलता है। अगर आप बायोकोल का इस्तेमाल करते हैं तो प्रदूषण कम होगा और महज ही 9 रूपये प्रति किलो इसे दिया जाता है। पराली से बना से कोयला काले कोयले के मुकाबले कम प्रदूषण और कम सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है। विजय ने इस परियोजना को दो साल पहले ही शुरू किया था जो आज लाखों रूपये का कारोबार कर रहा है और साथ में बहुत से बेरोजगार लोगों को रोजगार भी दे रहा है। हरियाणा कृषि विभाग( Haryana Agriculture Department) द्वारा इस किसान की कहानी को ट्वीट किया गया है और इस प्रोजेक्ट की सराहना भी करी है। विजय का कहना है कि पराली जलाने से दिल्ली और आसपास के इलाकों में सांस लेना और देखना भी मुश्किल हो जाता है। READ MORE :Kisan Karj Mafi Yojna 2023: किसानों की बल्ले-बल्ले सरकार ने कर्ज माफी का किया ऐलान, यहां से चेक करें अपना नाम इसलिए अगर आपको प्रदूषण से बचना है तो पहले खुद प्रयास करने होंगे। अगर आप भी हमारे साथ हैं तो किसान की 50 फीसदी से ज्यादा पराली का निस्तारण हो जाएगा और प्रदूषण नहीं फैलेगा। भूसे के माध्यम से चारकोल बनाने के लिए ब्रिकेटिंग मशीन गोबर की खाद मिलाकर चारकोल तैयार किया जाता है। इसे पहले मिलाया जाता है और फिर घोल तैयार किया जाता है। ये घोल ब्रिकेटिंग मशीन के बायोकोल में तैयार किया जाता है जिसे खेतों में बचे कचरे यानी पराली से बनाया जाता है।