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World Biggest Permafrost Batagaika Rater Thaws Due To Climate Change  : क्यों पिघल रहा बर्फ से भरा दुनिया का सबसे बड़ा गड्ढा, वजह जान चौंक जाएंगे आप

Permafrost crater thaws due to climate change: जैसा कि आप जानते हैं रूस के साइबेरिया में दुनिया का सबसे बड़ा पर्माफ्रॉस्ट  क्रेटर, बटागाइका पिघल रहा है। बटागाइका के्रटर के पिघलने की वजह से वेज्ञानिकों को चिंता करने पर मजबूर कर दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे में वायुमंडल में आर्गेनिक कार्बन की ज्यादा मात्रा ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा सकती है।
 
World Biggest Permafrost Batagaika Rater Thaws Due To Climate Change  : ​​​​​​​क्यों पिघल रहा बर्फ से भरा दुनिया का सबसे बड़ा गड्ढा, वजह जान चौंक जाएंगे आप

Dainik Haryana News,Permafrost crater Update(नई दिल्ली): अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, पर्माफ्रॉस्ट से मतलब उस जमीन या जगह से है जो लगातार कम से कम दो साल तक शून्य डिग्री पर पूरी तरह से जम जाती है। ये स्थायी रूप से जमी जमे हुए मैदान बर्फ द्वारा एक साथ रखी रेत की चट्टानें, मिट्टी व रेत के संयोजन से बने होते हैं। नासा की तरफ से कहा गया है कि पर्माफ्रॉस्ट उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के पास के क्षेत्रों में सबसे आम हैं और पृथ्वी के बड़े हिस्से को कवर करते हैं। खासतौर से उत्तरी गोलार्ध में लगभग एक चौथाई भूमि क्षेत्र के नीचे पर्माफ्रॉस्ट है। जमीन जमी होने के बावजूद पर्माफ्रॉस्ट वाले क्षेत्र हमेशा बर्फ से ढके नहीं रहते हैं।  

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गेटवे टू अंडरवर्ल्ड:

साइबेरिया के लोग इस बड़े गड्ढे को गेटवे टू अंडरवर्ल्ड भी कहते हैं यानी पाताल का रास्ता भी वो इसे पुकारते हैं। बताया जा रहा है कि साल 1960 में ज्यादा वनों की कटाई की वजह से जमीन से बर्फ कम हो गई थी और जमीन नीचे की और धंस गई थी। ऐसे में स्थानीस निवासी और रिसर्च रकने वाले स्ट्रचकोव का कहना था कि  लोग उस समय इसे गुफा भी कहा करते थे।  यह 1970 के दशक में विकसित हुआ, सबसे पहले ये एक गड्ढा था लेकिन धूप वाले दिनों की गर्मी में पिघलने से इसका विस्तार शुरू हो गया। स्थानीय लोगों ने भी गड्ढे की तीव्र वृद्धि पर ध्यान दिया है।

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उन्होंने बताया है कि दो साल पहले किनारा रास्ते से 30 मीटर दूर था जो अब काफी पास आ गया है। रूस के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दुनिया के बाकि हिस्सों के मुकाबले 2.5 गुना तेजी से गर्म हो रहा है। रूस के 65 फीसदी हिस्से को कवर करने वाला जमा टुंड्रा भी पिघल रहा है। ऐसे में उत्तरी व उत्तरपूर्वी शहरों की सड़कें टूट सकती हैं। मेलनिकोव पर्माफ्रॉस्ट इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता निकिता तानानयेव का कहना है कि आने वाले समय में बढते तापमान और उच्च मानवजनित दबाव के चलते हम और भी गेगा-स्लंप बनते देख सकते हैं।  जब तक कि सभी पर्माफ्रॉस्ट खत्म नहीं हो जाते हैं।