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Business Success Story:जानें इस लड़के का जीरो से लेकर 8300  करोड़ तक का सफर, पहले विदेश में करता था नौकरी

 


Dainik Haryana News, Sridhar Vembu Success Story(New Delhi):कामयाबी को पाने के लिए अधिक लोग विदेश में जाना पंसद करते हैं। लेकिन अगर आप सफल है तो  आपको सफलता जरूर मिलती है। दुनिया में अधिक लोगों का सपना बड़े शहरों में रहने और विदेशों अधिक पैसा कमाने का होता हैं।  आगर आप कोई नौकरी  मिल जाती है तो आपने आप को बहुत ही भाग्यशाली मानते है। लेकिन कुछ ही लोग अपना खुद का कारोबार करने के लिए अधिक सैलरी वाली जॉब को भी छोड़ देते हैं।
श्रीधर वेम्बू (Sridhar Vembu
)ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है। श्रीधर वेम्बू  अमेरिका में अपनी नौकरी को छोड़कर भारत में वापस आकर और छोटे से गांव में उन्होंने अपनी कंपनी की शुरूआत की है आज वह 8300 करोड़ की हो चुकी है। आइए जानते है श्रीधर वेम्बू को इतनी सफलता कैसे हासिल की।

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चाहिए ये बात

मिडिल क्लास फैमिली में हुआ जन्म श्रीधर वेम्बू (Sridhar Vembu)तमिलनाडु की एक मिडिल क्लास फैमिली में पले बढ़े। तमिल भाषा में प्राइमरी एजुकेशन पूरी की। आईआईटी मद्रास से 1989 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद पीएचडी करने के लिए अमेरिका चले गए थे। यहां उन्होंने सैन डिएगो स्थित क्वालकॉम में नौकरी शुरू की। लगभग 2 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया। इसके बाद वे भारत लौट आए।

करोड़ों में रेवेन्यू(Revenue in crores)

जोहो का ऑफिस बनने के चलते ही तेनकासी को जिले का दर्जा मिला। श्रीधर ने पास के माथलमपराई गांव में एक पुरानी फैक्ट्री खरीद कर उसे परिसर में बदल दिया। आज, हमारे पास तेनकासी में करीब 500 कर्मचारी कार्यरत हैं। जोहो का रेवेन्यू साल 2022 में 1 अरब डॉलर यानी करीब 8,300 करोड़ रुपये को पार कर चुका था।

गांव से की शुरुआत

श्रीधर अमेरिका (America)में एक बहुत ही अच्छी नौकरी को छोडकर भारम में आए जो सभी हैरान रह गए उन्हें श्रीधर वेम्बू को बहुत समझया लेकिन श्रीधर वेम्बू(Sridhar Vembu) ने किसी कि नहीं सुनी। श्रीधर वेम्बू ने सोच लिया था कि भारत में रहकर अपना कराबार शुरू करूगा।

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साल 1996 में  श्रीधर वेम्बू के भाई के साथ में एडवेंटनेट नाम से एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्म की शुरूआत की साल 2009 में इस कंपनी का नाम बदल कर जोहो कॉरपोरेशन कर दिया गया। उन्हें अपनी कंपनी के आॅफिस के लिए किसी मेट्रो सिटी के बजाय
तमिलनाडु के तेनकासी जिले को चुना था। यहां उन्होंने अपनी कंपनी का ऑफिस बनाया।