Jyathi Reddy Success Story: 16 साल की उम्र में करती थी मजदूरी; आज है करोड़ों की मालिक, जानें कैसे पहुंची इस मुकाम तक
Success Story: आज हम आप को एक मजदुर की बेटी का संघर्ष की कहानी के बारे में बताने जा रहा हैं जिन्हें अपने बचपन में बहुत ही मुश्किलों से भरा जीवन जिया है और फिर अपनी मेहनत के दम पर बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है आइए जानते है इनकी सफलता के बारे में।
Dainik Haryana News,Business Tips(New Delhi):अगर आप के पास में हिम्मत है, सही योजना है और आप को काम काने की आदत है तो आप अपने जीवन में बहुत अधिक सफल हो सकते हैं। ज्याति रेड्डी से बहुत सी बाते सीख सकते है। ज्याति रेड्डी (Jyathi Reddy)के रास्ते में हजारों बाधाएं थीं, वह बहुत ही गरीब थी और उसके पस में पढ़ाई करने के लिए पैसे नहीं थें इतना कुछ होने के बाद भी उने अपनी पूरी जिंदगी को बदल गई। वे अब अरब डॉलर की सॉफ़टरवेयर कंपनी की चीफ एग्जीक्युटिव ऑफीसर हैं कुछ साल पहले उनके लिए सोचना भी बहुत ही मुश्किल था, अब उनके पास में हर वो चीज है जिनको वह पाना चाहती थी।
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सिलाई करके किया गुजारा और पूरी की पढ़ाई:
केंद्र सरकार की एक योजना का उन्हें लाभ मिला और उनकी पढ़ाई लिखाई पूरी हुई. पैसे नहीं थे इसलिए वे रात में सिलाई करती थीं. इससे उनका दैनिक खर्च निकलने लगा. थोड़ी सी आत्मनिर्भरत हुईं तो वे परिवार के दबाव के बाद भी अपने पैरों पर खड़ी हो गईं. उन्होंने साल 1994 में डॉ बीआर अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री हासिल की. फिर साल 1997 में काकतीय यूनिवर्सिटी से से पीजी की डिग्री हासिल की. पढ़ाई की बदौलत उनकी कमाई बढ़ती गई. उन्हें 398 रुपये प्रति माह मिलने लगा जो पर्याप्त नहीं था.
ज्योति रेड्डी की जिंदगी आसान नहीं थी. वह करोड़पति हैं लेकिन महज 8 साल की उम्र में उनके मजदूर पिता ने उन्हें अनाथालय भेज दिया. वे उन्हें पाल नहीं पा रहे थे. पिता को उम्मीद थी कि अनाथालय में जाकर शायद उसे बेहतर जिंदगी मिल जाए. उनके कुल 5 भाई-बहन थे। वे अपने माता-पिता की दूसरी संतान हैं। अनाथालय की ओर से उनका एडमिशन एक सरकारी स्कूल में कराया गया. पढ़ाई पूरी ही नहीं हुई इससे पहले उनकी शादी करा दी गई।
16 की उम्र में जबरन शादी, खेतों में करती थीं मजदूरी -
ज्योति रेड्डी की शादी महज 16 की उम्र में हुई. उन्हें शादी करने के लिए मजबूर किया गया. 18 साल की उम्र तक वे दो बेटियों की मां बन गईं. वह खुद आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं लेकिन उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा था. उन्होंने खेतों में महज 5 रुपये रोज पर खेतों में भी काम किया।
पेट्रोल पंप पर भरा पेट्रोल-डीजल -
अमेरिका की भी जिंदगी आसान नहीं थी. उन्हें एक पेट्रोल पंप तक पर काम करना पड़ा. बच्चों की देखभाल के लिए उन्हें तमाम छोटो-बड़े काम करने पड़े। उनकी पहली नौकरी एक प्रोफेशनल के तौर पर हुई थई लेकिन बच्चों की परवरिश के लिए कई सारे दूसरे काम भी करने पड़े।
साल 2021 तक उन्होंने कुल 40,000 डॉलर की बचत कर ली, जिसके बाद अपना काम शुरू किया।
अमेरिका मे जाकर बदली जिंदगी:
इनकी जिंदगी कि नई शुरूआत फिर हुई जब अमेरिकी रिश्तेदार घर आए। उन्होंने विदेया में मिल रहे बवसरो के बारे में जानकारी प्राप्त की। ज्योति ने कंप्युटर की पढ़ाई कि और विदेश में चली गई। उन्हें अपनी बेटीयों को भी वही पर बुला लिया था। और फिर अमेरिका में उन्होंने बहुत ही अधिक महेनत की।
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