Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, सास-ससुर की संपत्ति में बहू का इतना होता है अधिकार
Dainik Haryana News,Supreme Court Decision(चंडीगढ़): कोर्ट की तरफ से भी ये फैसला लिया गया है कि अगर ससुराल वाले बहू को घर से निकाल देते हैं तो उसके ससुर और पति का हक बनता है उसे किराए का या कोई वैक्लिपिक घर खरीकर दे, और हर महीने उस महिला का खर्चा भी उसके ससुराल वाले ही देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि डोमेस्टिक वायलेंस ऐक्ट का आदेश सिविल सूट में साक्ष्य बनेगा। लेकिन सिविल सूट का फैसला साक्ष्य के तहत होगा।
ट्रायल कोर्ट ने बहू को निकालने के दिए आदेश :
ससुर ने ट्रोयल कोर्ट(Trial court) में अपनी नई कॉलोनी वाले घर में रहने वाली बहू को वहां से हटाने और संपत्ति का पजेशन उनके हवाले करने की अर्जी दर्ज की थी, उसमें कहा गया था कि उसके बेटो की शादी हई और उसके बाद बहू के साथ खरीदी गई संपत्तिके पहले फ्लोर में रहे है। ऐसे में दोनों के बीच में विवाद हुआ और बेटा वहां से चला गया और बहू पहले फ्लोर पर रहने लगी। बेटे ने 28 नवंबर 2014 को बहू के खिलाफ तलाक की अर्जी दाखिल की जो पेंडिंग है। इसी बीच बहू ने घरेलू हिंसा का केस किया।
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होती थी घरेलू हिंसा :
बहू ने याचिका में कहा कि उसके साथ घरेलू हिंसा होती थी। 26 नवंबर 2016 को चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट ने अंतरिम आदेश में कहा कि शेयर्ड हाउस होल्ड संपत्ति से बहू को बिना कोर्ट ऑर्डर के न निकाला जाए। बहू ने कहा कि ससुर की खुद की अर्जित संपत्ति नहीं है, क्योंकि पूरी फैंमिली ज्वाइंट है और साथ मिलकर संपत्ति को खरीदा गया है। साथ ही कहा कि डीवी ऐक्ट का केस पेंडिंग है और संपत्ति डीवी ऐक्ट के तहत शेयर्ड हाउस होल्ड प्रॉपर्टी है जिसमें उसे रहने का अधिकार है। शादी के बाद से वह उस संपत्ति में रह रही है वहीं पर उसका ससुराल भी है ट्रायल कोर्ट ने ससुर के फेवर में फैसला सुनाया और बहू को आदेश दिए गए कि 15 दिन के अंदर ही संपत्ति को खाली करना होगा।
हाईकोर्ट ने ट्रोयल कोर्ट का बदला फैसला :
बहू ने जब मामला हाई कोर्ट में पहुंचाया तो ट्रायल कोर्ट के फैसले को वहां पर खारिज कर दिया गया और कहा कि संपत्ति किसी की भी हो कोर्ट ने डीवी एक्ट को नहीं देखा है जो इसके आदेश नहीं देता है। हाईकोर्ट ने कहा है कि महिला तबतक वहां रह सकती है जब तक वह ये साबित नहीं कर देती कि वह घरेलू हिंसा का शिकार है और वह संपत्ति मालिक के साथ डोमेस्टिक रिलेशन में रह रही है।
डीवी ऐक्ट(DV Act) के तहत उसे शेयर्ड हाउस होल्ड प्रॉपर्टी में रहने का अधिकार है तो वह आदेश के वक्त महिला के वैकल्पिक रिहायश की व्यवस्था देखे। डीवी ऐक्ट के तहत जब तक मेट्रोमोनियल रिलेशनशिप रहता है तब तक वैकल्पिक रिहायश का अधिकार है। अगर बहू ससुर की सपत्ति के एकाधिकार को चुनौती देती है तो वह उसके दावे को परखे और साक्ष्यों के आधार पर फैसला दें। बहू को घर खाली करने का आदेश दिया जाता है तो वैकल्पिक घर की व्यवस्था की जाए और शादीशुदा रिलेशनशिप तक उसके खर्च का वहन पति व ससुर करेंगे।
हाईकोर्ट के फैसले को रखा वैसे ही :
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है और ससुर की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि डीवी एक्ट के रहने के अधिकार का आदेश सिविल सूट पर प्रतिबंध लगाता है। डीवी एक्ट का कोई भी आदेश सिविल सूट में साक्ष्य होगा, हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ महिला के ससुर की अर्जी को खारिज कर दिया गया है।