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Paush Purnima 2024 Date  :   इस दिन मनाई जा रही साल की पहली पूर्णिमा, घर में शांति के लिए कर लें ये उपाय

Paush Purnima Vrat Katha   :   साल के पहले महीने में पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी। पौष पूर्णिमा के दिन कुछ महिलाएं उपवास रखती है। पौष पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर विधि विधान सहित पूजा करनी चाहिए। व्रत के दौरान कथा पढ़ने से हर मनोकामना पूरी होती है।
 
 

Dainik Haryana News, 2024 Paush Purnima Date (New Delhi)   :    सनातन धर्म में किसी भी व्रत या उपवास का फल तभी मिलता है जब उसे विधि-विधान से रखा जाए। पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसका खास महत्व है। इस दिन गंगा स्रान करने और दान आदि करने से व्यक्ति को पूण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है और घर की सभी परेशानियां दूर हो जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार 25 जनवरी 2024 गुरुवार के दिन पौष पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. 

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पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Paush Purnima Shub Muhurat) 

पौष माह की पूर्णिमा तिथि 24 जनवरी 2024 को रात 9 बजकर 49 मिनट पर शुरू होकर 25 जनवरी को रात 11 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में इस दिन पौष पूर्णिमा 25 जनवरी को गुरूवार के दिन मनाई जाएगी। 

पूर्णिमा पर सत्यनारायण की कथा का महत्व पौष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने और सुनने की परंपरा है। इससे साधक के सभी दुख दूर हो जाते है। उनकी हर मनोकामना पूरी होती हैं। सत्यनारायण की कथा पढ़ने से व्यक्ति को कई सीख मिलती हैं जैसे अपना संकल्प कभी न भूलें और कभी भी भगवान के प्रसाद का अपमान न करें।

पूर्णिमा तिथि पर करें ऐसा 

ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का अभिषेक करना ज्यादा अच्छा माना गया है. अभिषेक के बाद भगवान विष्णु को नए वस्त्र पहनाएं और फूलों से श्रृंगार करें. इसके बाद मंदिर में धूप-दीप जलाएं और ऊँ नमों भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. आखिर में मिठाई का भोग लगाएं और मां लक्ष्मी-विष्णु भगवान की आरती करें.

जरूर करें ये कार्य 

अगर आप पूर्णिमा तिथि का व्रत रख रहे हैं, तो साधक को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाना चाहिए. इसके बाद चौकी पर सत्यनारायण भगवान की तस्वीर और  कलश रखकर शुभ मुहूर्त में पूजन करें. इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. शाम के समय सत्यनरायण भगवान की कथा का श्रवण करें. इसके बाद सत्यनारायण भगवान को चरणामृत, पान, तिल, रोली, कुमकुम, फल, फूल, सुपारी और दूर्वा आदि अर्पित करें. आखिर में लोगों में कथा का प्रसाद बांटें. 

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