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What is National Green Hydrogen Mission : क्या है नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, क्यों सरकार के लिए इतना जरूरी 

National Green Hydrogen Mission : फिलहाल सरकार ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन के तहत ट्रांसफर सेक्टर के लिए 496 करोड़ रूपये का कोष अनुमानित किया है, अगर जरूत हुई तो इसे और भी बढ़ा दिया जाएगा। ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के पोटेंशियल को देखने के लिए सीरीज आफ ट्रायल होनी चाहिए, ताकि ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल से सेक्टर को कार्बन फ्री करने के लिए नेशनल रोडमैप बनाया जा सके। 
 
What is National Green Hydrogen Mission : क्या है नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, क्यों सरकार के लिए इतना जरूरी 

Dainik Haryana News,National Green Hydrogen Mission Update(ब्यूरो): केंद्र सरकार की तरफ से ट्रांसफर सेक्टर को कार्बन फ्री करने के लिए नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को शुरू किया जा रहा है। जानकारी मिल रही है कि अगर जरूत पड़ी तो ग्रीन हाईड्रोजन के तहत और भी फंड को आवंटित किए जाएगा। दिल्ली में ट्रांसफर सेक्टर के सरकारी और उद्योग हितधारकों की बैठक की अध्यक्षता की है और सिंह ने ऊर्जा बदलाव की दिशा में सरकार के संकल्प को दोहराया और उत्सर्जन को कम करने में भारत की प्रतिबद्धता पर बल दिया जा रहा है। 

जानें क्या है नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन?

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इस मिशन का मकसद भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव्स के उत्पादन, उपयोग व निर्यात का ग्लोबल हब बनाना है। यह मिशन आर्थव्यवस्था को कार्बनमुक्त करना, फॉसिल फ्यूल के आयात पर निर्भरता में कमी लाने और ग्रीन हाइड्रोजन के सेक्टर में टेक्नोलॉजी अपनाने व मार्केट नेतृत्व हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस मिशन से देश में प्रदूषण कम होगा। 


ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए इतना कोष अनुमानित :

फिलहाल सरकार ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन(National Hydrogen Mission) के तहत ट्रांसफर सेक्टर के लिए 496 करोड़ रूपये का कोष अनुमानित किया है, अगर जरूत हुई तो इसे और भी बढ़ा दिया जाएगा। ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के पोटेंशियल को देखने के लिए सीरीज आफ ट्रायल होनी चाहिए, ताकि ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल से सेक्टर को कार्बन फ्री करने के लिए नेशनल रोडमैप बनाया जा सके। 

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इस रोडमैप में पायलट प्रोजेक्ट्स, टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट(technological advancement) और लोकलाइज्ड मैन्युफैक्चरिंग एंड स्केलिंग प्रोसेस के जरिये कॉस्ट को कम करने की संभावना का ब्योरा भी शामिल होना चाहिए. मंत्री ने पायलट प्रोजेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल की वकालत करने हुए कहा है कि हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों और इलेक्ट्रिक के बीच टेक्नोलॉली और लागत की तुलना करनी होगी।