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Bhavish Aggarwal Success Story:एक ताने ने बदल दी पूरी जिदगी और खड़ी कर दी कंपनी
 

OLA Founder Bhavish Aggarwal Success Story:कंपनी के मालिक भाविश अग्रवाल ने अपने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए एक ताने को अपना सहारा बनाया हैं। तब जाकर आज ओएल के भारत का 60 फीसदी कैब मार्केट अपनक नाम कर पाई । आज हम आप भाविश अग्रवाल की सफलता के बारे में बताएगें आइए जानते हैं इनकी सफलता के बारे में।
 
Bhavish Aggarwal Success Story:एक ताने ने बदल दी पूरी जिदगी और खड़ी कर दी कंपनी

Dainik Haryana News, Business Tips (New Delhi):अगर आप घर से बार किसी काम के लिए जाना हैं लेकिन बारिश हो रही हैं तो कैसे जाएं, तुरत हम एक OLA बुक करते है। उसके बाद में आलो ऐप को खोलते हैं और अपनी राइड को बुक कर लेते हैं। तुरत गाड़ी आ जाती हैं, और हम अपने काम के लिए चले जाते हैं, सब कुछ बहुत ही आसान लगता हैं। लेकिन आप क्या कभी सोचा हैं कि आज OLA इतनी बड़ी कंपनी अचानक तो नहीं बनी हैं। इसके पिछे क्या कहानी हैं।

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आईआईटी के रहे हैं स्टुडेंट(Have been students of IIT)


भाविश अग्रवाल आईआईटी स्टुडेंट रहे हैं। उन्होंने बीटेक किया हैं। साल 2010 की बात हैं जब वह अपने किसी काम से कैब में जा रहे थे, तो कैब वाले ने उनसे अधिक किराय लेने कि डिमांड की। भाविश अग्रवाल और ड्राइवर के बीच में बहुत अधिक बहस हुई। लेकिन इस बात को भाविश अग्रवाल यहां नहीं भूले, उन्हें सोचा कि जब मुझे यह दिक्कत का सामना करना पड रहा है तो •ाारत में ऐसे करोड़ो ग्राहक होंगे, जो इस समस्या से जरूर समझते होगे। क्यों ना अपनी कैब खडी कह जाए।


एश् में भी बना दिए रिकॉर्ड्स (Records were made in Ash also)


भाविश ने फ्यूचर को देखते हुए अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल में स्कूटर को बाजार में लॉन्च किया। उससे पहले उसकी प्री बुकिंग कराई थी, जिसमें ताबड़तोड़ बुकिंग ओला कंपनी को मिली। बुकिंग इतनी ज्यादा थी कि कंपनी के एश् स्कूटर के लिए 6 से 7 महीने का वेट करना पड़ रहा था।

यह आइडिया उन्होंने अपने दोस्त अंकित भाटी को बताया, साथ में घर वालों को भी इसकी जानकारी दी। घर वालों ने कहा कि आप एक आईआईटी स्टूडेंट रहे हैं और इस तरीके का छोटा बिजनेस करेंगे, यह ठीक नहीं है। लेकिन भाविश ने कुछ और ही अपने दिमाग में सेट कर रखा था। बिजनेस तो ठीक है, ये छोटा शब्द उसके दिमाग में कभी आया ही नहीं । साल 2010 की बात है भावेश अग्रवाल ने अपने दोस्त अंकित भाटी के साथ मिलकर कंपनी को बनाया।


फंडिग की कभी नहीं रही समस्या(There has never been a problem of funding -)


आइडिया था, साथ था, अब बस जरूरत थी पैसे की।Meta Data भाविश ने अपना आइडिया इन्वेस्टर्स को सुनना शुरू किया और देखते ही देखते 26 राउंड में भावेश को 32 हजार करोड़ रुपए का निवेशकों से लोन मिल गया। जिसमें शार्क टैंक के अनुपम मित्तल भी शामिल थे। आइडिया जबरदस्त था तो फंडिंग में कभी कोई दिक्कत हुई ही नहीं।

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ऐप के आते ही मच गया धमाल (There was a stir as soon as the app arrived)


सारा मामला सेट था,फंडिग भी आ  चुकी थी। उसके बाद में भाविश ने अपने दोस्त के साथ मिलकर ऐप को लॉच किया। देखते ही देखते इस ऐप को 6 महीने में लाखों लोगों ने डाउनलोड किया और आज कंपनी भारत का 60 फ़ीसदी कैब कारोबार पर कब्जा किए हुए हैं। यह तो कहानी अभी अधूरी है, इसके बाद शुरू होता है इलेक्ट्रिक व्हीकल यानी एश् का खेल।