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Falgun Amavasya 2024 :  इस दिन मनाई जाएगी फाल्गुन मास की अमावस्या, पितरों को खुश करने के लिए करें ये उपाय

Falgun Amavasya 2024 Date : फाल्गुन मास चल रहा है। वैदिक पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन अपने पितरों को खुश करने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए। आइए खबर में जानते हैं इन उपायों के बारे में। 
 
Falgun Amavasya 2024 :  इस दिन मनाई जाएगी फाल्गुन मास की अमावस्या, पितरों को खुश करने के लिए करें ये उपाय

Dainik Haryana News,Falgun Amavasya 2024 Kab hai(ब्यूरो): हिंदू धर्म में अमावस्या का अधिक महत्व माना जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या की तिथि के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। इस दिन आपको पवित्र नदियों में स्रान करना होता है और कुछ दान अगर आप करते हैं तो अपने पितरों को खुश कर सकते हैं और आपको जिससे लाभ होता है। 

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किस दिन मनाई जाएगी फाल्गुन मास की अमावस्या(Falgun Amavasya 2024 Shubh Muhurat)?

पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की अमावस्या इस महीने 9 मार्च को शाम 6.17 बजे शुरू होगी और यह 10 मार्च  दोपहर 2.29 बजे तक चलेगी। यानी फाल्गुन मास की अमावस्या 10 मार्च को मनाई जाएगी। 


ऐसे करें पितरों को खुश :

अमावस्या के दिन पितरों की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न किया जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप अमावस्या के दिन अपने पितरों को खुश कर सकते हैं। 


 
ये हैं पितृ स्तोत्र?(Pitru Stotra Lyrics) 

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अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ॥
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ॥
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा ।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ॥
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्ये२हं कृताञ्जलि: ॥
प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ॥
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ॥
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ॥
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ॥
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज: ॥