Rajsthan Rape Case : बच्चे को लेकर कोर्ट में पहुंची 11 साल की रेप विक्टिम, कोर्ट ने क्यों करी याचिका खारिज
Dainik Haeyana News,High Court Decsion(नई दिल्ली): हाल ही में बड़ा मामला सामने आया है जिसे सुनने के बाद लोग हैरानी में हैं। राजस्थान के हाईकोर्ट में एक 11 साल की बच्ची फरियाद लेकर पहुंची हैं। इस बच्ची का कहना है कि वह प्रेग्नेंट है और वह हाईकोर्ट से गर्भपात की इजाजत मांग रही है। लेकिन दुख की बात ये है कि बच्ची 31 सप्ताह की प्रेग्नेंट है और जिसकी वजह से कोर्ट ने याचिका दायर करने से मना कर दिया है।
कोर्ट का कहना है कि पूर्ण विकसित भू्रण को अपना जीवन जीने का अधिकार है और बिना असामान्यता के स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि इस चरण में गर्भावस्था को समाप्त करने के किसी भी प्रयास से समय से पहले प्रसव होने की संभावना है और यह अजन्मे बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है।
11 साल की बच्ची का पिता ने किया रेप :
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11 साल की बच्ची ने बताया है कि उसके पिता ने ही उसका रेप किया था। लड़की का कहना है कि वह ऐसे बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है जो उसे उस पर हुए अत्याचारों की याद दिलाएगा। न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढांड की पीठ ने आदेश जारी किए हैं कि अदालत में आने में बच्ची की देरी ने गर्भवस्था को समाप्त करने के उक्त पहलू को और बढ़ा दिया है। रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है, जिसके आधार पर यह अदालत मेडिकल बोर्ड द्वारा व्यक्त की गई राय से भिन्न हो सके.
मेडिकल बोर्ड की राय है कि इतनी उन्नत अवस्था में गर्भपात से उसकी जान को खतरा हो सकता है. अदालत का कहना है कि इस उन्नत चरण में गर्भावस्था को समाप्त करने के किसी भी प्रयास से समय से पहले प्रसव होने की संभावना है औश्र यह अजन्में बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है। अदालत ने आदेश दिया है कि पूरी तरह से विकसित बच्चे को भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दुनिया में आने का हक है और जीने का अधिकार है।
11 साल की बच्ची को देना होगा बच्चे को जन्म :
बच्ची के मामा ने पिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत और पोक्सो एक्ट के तहत बालात्कार की शिकायत दर्ज कराई है। बताया गया है कि मां मानसिक रूप से बीमार है और पिता शराबी है। पहले पिता ने बेटी को मामा के घर छोड़ दिया था। कोर्ट का कहना है कि बच्ची वयस्क होने तक बालिका ग्रह में रह सकती है और वहां उसकी देखभाल करने के आदेश जारी किए गए हैं। अदालत ने महिला चिकित्सालय के अधीक्षक को सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने, फोरेंसिक लैब द्वारा डीएनए परीक्षण के लिए भ्रूण के ऊतकों, नाल और खून के नमूने को सुरक्षित रखने व आवश्यकता पड़ने पर मामले के जांच अधिकारों को सौंपने का आदेश जारी किया है।