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BPSC Success Story : गांव की बेटी ने बी में रचा इतिहास,दूर दूर तक नहीं था कोई टीचर
 

Bihar Success Story : आज हम आपको बिहार की एक लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं जिसका चयन बिहार सचिवालय में सहायक शाखा पदाधिकारी के पद पर हुआ हैं। बिहार के एक छोटे से गांव की इस लड़की का सफर बहुत ही कठिन रहा हैं। आइए जानते है सरिता की सफलता की कहानी

 

Dainik Haryana News, BPSC News(New Delhi) :  अगर लक्ष्य को पाने की चाहत हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। आज हम आपको बिहार की एक लड़की की कहानी बताने जा रहें हैं। हम बात कर रहे है सरिता की। सरिता एक गरीब परिवार से आती हैं।

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Sarita Kumar Success Story : सरिता कुमार एक ऐसे गांव से हैं,जहां पर टीचर ढूंढने के लिए 5 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। सरिता गया के बांके बाजार प्रखंड के एक गांव की रहने वाली हैं। सरिता लगभग दर्जनों नौकरियों में फैल हुई लेकिन सरिता ने कभी अपना हौसला नहीं खोया और अपनी पढ़ाई जारी रखी। सरिता ने परीक्षा के लिए सेल्फ स्टडी और कोचिंग के जरिए अपनी तैयारी की।

सितंबर 2023 में सचिवालय सहायक शाखा अधिकारी के पद पर चयनित होने से पहले उन्हें पूर्वी रेलवे से नौकरी का प्रस्ताव मिला। इससे पहले वह 11 सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं में असफल रही थी। सरिता ने परीक्षा के लिए सेल्फ स्टडी और कोचिंग के जरिए अपनी तैयारी की.

सरिता के पति की है रेलवे में नौकरी

इतना ही नहीं सरिता के पति बिनोद कुमार रेलवे में नौकरी पाने वाले गांव के पहले व्यक्ति हैं, उन्हें देखकर कई लोग प्रेरित हुए हैं. जानकारी के मुताबिक अब गांव में 7 लोग नौकरी कर रहे हैं, जिनमें से एक उनकी पत्नी सरिता भी हैं. सरिता का चयन सहायक शाखा अधिकारी के पद के लिए हुआ है. उनकी इस उपलब्धि से पूरा परिवार बहुत गर्वित महसूस कर रहा है.

घर की जिम्मदारी निभाते हुए की पढ़ाई

एक इंटरव्यू में सरिता ने बताया कि उनके गांव में पढ़ाई का माहौल नहीं है. ऐसे में वह रोजाना पढ़ने के लिए गांव से 5 किलोमीटर दूर बांके बाजार जाती थी. इसके अलावा एक साल तक गया में रहकर पढ़ाई की. सरिता ने घर का सारा काम करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी, जिसमें खाना बनाने से लेकर खेत से जानवरों का चारा लाना भी शामिल है.

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वह हर दिन रात 12 बजे तक पढ़ाई करती थी. सरिता ने कहा कि इस सफर में परिवार ने उनका पूरा साथ दिया है. शादी से पहले उन्हें अपने माता-पिता से और शादी के बाद पति और ससुराल वालों का समर्थन मिला. वह कहती हैं कि खासतौर से उनके ससुर हमेशा उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे.