Eye Health Tips : अगर आंखों में दिख रहें हैं ये लक्षण तो हो सकता है ग्लूकोमा!
Dainik Haryana News, Eyes Health Advice (New Delhi) : पहले के समय में बड़ों को आंखों से जुड़ी समस्याएं होती थीं लेकिन आज के समय में ये समस्या कम उम्र के लोगों में भी देखी जा सकती है। 40 साल की उम्र के बाद आंखों की रोशनी कम होने लगती है। आपकी आंखें को स्वस्थ रखने के लिए आपको अपने खान-पान को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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आंखों से जुड़ी बीमारी गलुकोमा अक्सर बढ़ती उम्र के साथ होती है, आंखों पर दबाव बढ़ता है और आप्टिव नर्व खराब होती है। ऐसे होने व्यक्ति की आंखों की रोशनी भी जा सकती है। आंखों की रोशनी ग्लुकोमा के कारण एक बार चली गई तो फिर वापिस नहीं आ सकती है। ग्लूकोमा एक लाइलाज रोग है जो आंखों की रोशनी को धीरें-धीरें छिन लेता है। यह काला मोतिया या समलबाई भी कहलाता है।
ग्लूकोमा आंखों को प्रभावित करने वाली एक गंभीर बीमारी है। ग्लूकोमा एक घातक बीमारी है जो आंखों के पिछले हिस्से में आॅप्टिक नर्व को प्रभावित कर सकती है, जिससे विजन लॉस या पूरी तरह से ब्लाइंडनेस हो सकती है। आंखों से जुड़े ये आप्टिक नर्व हमारे ब्रेन को किसी सीन से जुड़ी सभी जानकारी भेजते हैं। इसी प्रक्रिया से हम किसी चीज को पहचानने की क्षमता प्राप्त करते हैं। ऐसे में अगर आप्टिक नर्व किसी भी तरह कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो चीजें पहचानना कठिन हो जाता है और आंखों की रोशनी कम हो जाती है।
ऐसे में आपकी आंखों को भारी नुकसान हो सकता है। ग्लूकोमा के सभी रूप अपने आप में अलग हैं, लेकिन अधिकांश लोगों में पहले कोई लक्षण नहीं दिखते हैं. इसलिए, अगर आप अधिक जोखिम में हैं, तो आपको बार-बार परीक्षण करवाना चाहिए। माना जाता है कि ये साठ वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अधिक होते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ग्लूकोमा हर उम्र के लोगों और यहां तक कि बच्चों में भी फैलने लगा है।
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ग्लूकोमा के संकेत
ग्लूकोमा के लक्षणों में से कुछ हैं: तेज सिरदर्द, आंखों का लाल होना, खुजली और धुंधली दृष्टि, आंखों में दर्द, कॉर्निया का सफेद होना या धुंधलापन, और आंखों के अंदर या मध्य में पैची ब्लाइंड स्पॉट। यह बीमारी जल्दी पकड़ लेती है, खासकर बीपी और डायबिटीज से पीड़ित लोगों को। ब्लर बिजनेस
ग्लूकोमा के प्रकार
ओपन-एंगल ग्लूकोमा
में आंखों में पानी घूमता रहता है और लगातार पानी निकलता रहता है। आंखों पर इसका असर होता है। और देखने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इस प्रकार का ग्लूकोमा ट्रबेक्युलर नर्व को प्रभावित करता है। यह जन्म से हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान भी यह बीमारी हो सकती है।
एकल-क्लोजर ग्लूकोमा
इस तरह का ग्लूकोमा आंखों को लाल कर देता है और दर्द करता है। आंखों से पानी निकलता है। इसमें आंखों की रोशनी कम हो जाती है। बीपी और डायबिटीज से पीड़ित लोगों को यह बीमारी हो सकती है। आंखों और माथे में तेज दर्द, आंखों का लाल होना, जी मिचलाना, उल्टी और जी मिचलाना इसके पहले लक्षण हैं।