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Red Alert on Red Sea : लाल सागर में रेड अलर्ट, भारत के लिए क्यों बन सकता है खतरा 
 

Big Breaking : लाल सागर में होने वाले हूती विद्रोहियों के हमले की वजह से परेशानी हो रही है। बहुत सी कंपनियां अब लाल सागर से अपने माल को आयात-निर्यात करने में कतरा रही हैं। ऐसे में सागर में रेड अलर्ट को जारी कर दिया है। आइए खबर में जानते हैं क्या भारत की बढ़ सकती हैं मुश्किलें। 
 
Red Alert on Red Sea : लाल सागर में रेड अलर्ट, भारत के लिए क्यों बन सकता है खतरा 

Dainik Haryana News,Red Sea Update(नई दिल्ली): लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर हूतियों का विद्रोह हुआ है। अब अमेरिका के साथ ही ब्रिटेन ने जवाब देना शुरू कर दिया है। हमलों की वजह से कई देशों की सरकारों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। सभी कंपनियां अपने जहाजों को लाल सागर में उतारने से डर रही हैं। अब शिपिंग शेड्यूल को अनियमित बनाने के अलावा सप्लाई चेन को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। सप्लाई प्रभावित ना हो इसके लिए अंतर-मंत्रालयी परामर्श पर काम किया जा रहा है और निर्यातकों का कहना है कि क्षेत्र में तनाव बढ़ने की आशंका है।

  
तेल की कीमतों पर देखा जा रहा असर :

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लाल सागर की वजह से शुक्रवार को तेल की कीमतों में 2 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिल रही है। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 79 डॉलर बैरल से ज्यादा हो गया है और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड वायदा बढ़कर 73.53 डॉलर हो गया है। कंटेनर की दरें पहले से ज्यादा बढ़ चुकी हैं और बेंचमार्क शंघाई कंटेनरीकृत फे्रट इंडक्स स्प्ताह दर बढ़ती जा रही है जो 16 प्रतिशत ज्यादा होकर 2206 हो गई है। गया है। शंघाई से यूरोप तक 20 फीट के कंटेनर की हाजिर दरें एक सप्ताह में 8% बढ़कर 3,103 डॉलर के शीर्ष पर पहुंच गईं।


14 दिन का हुआ चक्कर ज्यादा :

सबसे बड़ी समस्या अब जहाजों के सामने देरी की आ रही है। जहाज केप आफ गुड होप के आसपास आ रहे हैं। इसमें 14 दिन का अतिरिक्त समय लग रहा है। ज्यादा समय लगने की वजह से बिजनेस पर असर पड़ रहा है। ऐेसे में शिपिंग लाइनें इसका पालन नहीं कर पा रही हैं और यात्रा के लिए नई तारीख लेने के लिए भी तैयार नहीं है। 


समुद्री बीमा को किया बंद :

भारत में भी चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। कंपनी ने समुद्री बीमा देना बंद कर दिया है। फियो के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि सरकार को कंपनियां पर बीमा प्रदान करने के लिए दबाव डालना चाहिए, क्योंकि कवर के अभाव में उन्हें बिना बीमा के सामान भेजना होगा। एम्स्टर्डम-एशिया मार्ग पर, वॉर रिस्क प्रीमियम दिसंबर की शुरुआत में 0.1% से बढ़कर 0.5 से 0.7% की वर्तमान सीमा तक बढ़ गया है। तनाव बढ़ने की स्थिति में यह और भी बढ़ सकता है।

लाल सागर क्यों है जरूरी :

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अधिकारियों का कहना है कि अभी तक सप्लाई पर तो कोई असर नहीं पड़ा है लेकिन परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।  शुक्रवार को टेस्ला ने सप्लाई चेन में देरी के कारण अपने बर्लिन प्लांट को 29 जनवरी से 11 फरवरी तक बंद कर दिया है। शिपिंग का 10-15 प्रतिशत लाल सागर से होकर ही गुजरात आता है। यह समुद्री तेल और एलएनजी सहित वाणिज्यिक वस्तुओं के लिए जरूरी लिंक है। एशिया-यूरोप व्यापार का लगभग 40 प्रतिशत इसी मार्ग से होकर गुजरात आता है।